Friday, July 12, 2013

आओ!

आओ!
मज़हबों को दरकिनारकर
इंसानियत की पाठशाला खोलें
पहले इंसान तो हो लें!

हां नहीं तो!

8 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय-
    शुभकामनायें-

    ReplyDelete
  2. सही कहा है

    ReplyDelete
  3. आओ!
    मज़हबों को दरकिनारकर
    इंसानियत की पाठशाला खोलें
    पहले इंसान तो हो लें!

    बहुत खूब !

    ReplyDelete
  4. पहले इंसान तो हो लें । बिल्कुल सही कहा ।

    ReplyDelete